कोरोना वायरस की वजह से भले ही पूरा विश्व परेशान हो, लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि पूरी दुनिया में प्रति वर्ष 1.35 मिलियन लोग सड़क दुर्घटना में अपनी जान गंवा देते हैं, जबकि घायलों का आंकड़ा करीब 50 मिलियन है।
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अगर भारत की बात करें तो यहां पूरे देश में रोजाना 450 लोगों की जान सड़क दुर्घटना में चली जाती है। इसलिए सड़क सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है, जिसे लेकर सरकार काफी गंभीर दिखाई पड़ती है।
ज्यादातर दुर्घटनाओं में ड्राईवर की लापरवाही सामने आती है, इसी को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम ने एक पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत उन्होंने एक्सप्रेसवे पर बस चलाने के लिए एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर यानि सोप का दिशानिर्देश जारी किया है।
उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम ने यह निर्णय पिछले तीन साल में हुए दुर्घटना के आंकड़ो के आधार पर लिया है। निगम का लक्ष्य है कि वर्तमान वित्त वर्ष में कम से कम दुर्घटनाओं में 30% की कमी की जाए।
इसके तहत अब ड्राईवरों के ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर ही उन्हें एक्सप्रेसवे पर वाहन चलाने की अनुमति मिलेगी। इसके तहत वैसे ड्राईवर शामिल किए जाएंगे जिसे कम से कम एक्सप्रेसवे पर 5 साल गाड़ी चलाने का अनुभव हो।
इसके अलावा, यूपीएसआरटीसी मुख्यालय में दुर्घटना निवारण सेल की स्थापना की गई है, जो एक्सप्रेसवे पर बसों की अधिक गति और दुर्घटनाओं के बारे में मासिक डेटा एकत्रित करेगा और अध्ययन के बाद आवश्यक कार्रवाई करेगा।
इसके अलावा भी यूपीएसआरटीसी ने एक अहम फैसला किया है, जिसके तहत लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर संचालित सभी बसें आवश्यक रूप से प्रत्येक 200 किमी पर एक्सप्रेसवे पर स्थित सुविधा केंद्रों पर 10 मिनट का ठहराव लेंगी ताकि यात्रियों को आराम और सुविधा मिल सके।
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